आनंदी के पास हर इलाज


 एकबार एक व्यक्ति देर रात बड़ी ही व्यथित अवस्था में अपने बेडरूम में चक्कर

लगा रहा था। पत्नी भी हैरान थी कि इनको यह क्या हो गया है? वे गहरे टेन्शन में हैं, यह

तो उनकी बॉडी लेग्वेंज से ही साफ झलक रहा था। निश्चित ही अपने पति का यह हाल देख

पत्नी भी परेशान हो उठी थी। ...आखिर उससे नहीं रहा गया और उसने पति से इस बेचैनी

का कारण जानना चाहा।


पति ने बड़ा दुखी होते हुए कहा- दरअसल अपने पड़ोसी मिस्टर बनर्जी से मैंने दो

महीने के लिए दो लाख रुपये ब्याज पर लिए थे। कल सुबह रुपये वापस लौटाने की तारीख

है। लेकिन मैं रुपयों का इन्तजाम नहीं कर पाया हूँ। बनर्जी का स्वभाव मैं जानता हूँ, वह

तकाजे का बड़ा पक्का है, कल सुबह ही मांगने आ खड़ा होगा। समझ में नहीं आ रहा, मैं

क्या करूं?


यह सुन एक क्षण को तो पत्नी भी चिंतित हो उठी, परंतु वह आनंदी स्वभाव की थी।

चिंता उसे लंबे समय तक पकड़ नहीं सकती थी। सो उसने पूरी गंभीरतापूर्वक पति से पूछा-

हो तो यह गलत ही गया। परंतु क्या वाकई तुम पैसों का इन्तजाम नहीं कर सकते?


पति बोला- नहीं कर सकता, तभी तो... वरना तुम जानती ही हो कि मुझे खुद यह

सब नापसंद है।


पत्नी बोली- वह तो मैं जानती हूँ, पर थोड़ा और सोच लो, शायद कोई उपाय निकल

आए।


पति बोला- मैंने पूरी कोशिश कर ली। कुछ नहीं हो सकता।


यह सुनते ही पत्नी तुरंत बोली- जब नहीं कर सकते तो नहीं ही कर सकते। रुको, मैं

आती हूँ।


इतना कहते-कहते वह तो घर से बाहर चली गई और सीधा जा पहुंची बनर्जी के

द्वार पर। यूं तो रात काफी हो चुकी थी, परंतु उसे उससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। उसने

तो समय का इन्तजार किए बगैर बनर्जी के घर की घंटी बजा दी। दरवाजा बनर्जी ने ही

खोला। उसने सीधा उन्हें नमस्कार करते हुए पूछा- क्या मेरे पति ने आपसे दो लाख रुपए

उधार लिए थे?


 


बनर्जी ने कहा- हां...

पत्नी ने बड़ी गंभीरतापूर्वक पूछा- कल उसके वापस लौटाने की तारीखहै?

बनर्जी ने कहा- हां!


पत्नी ने कहा- लेकिन मेरे पति पैसों का इन्तजाम नहीं कर पाए हैं। सो आपको पैसों

हेतु दो-एक महीने और इन्तजार करना पड़ेगा।


...बस इतना कहकर वह घर लौट आई। वहां परेशान पति, पत्नी के अचानक इतनी

रात को बाहर चले जाने से और बेचैन हो उठा था। इतनी रात ये कहां गई? कहीं पैसों का

इन्तजाम करने तो नहीं चली गई? खैर, पत्नी जल्द ही लौट आई थी, सो उसे ज्यादा

खयाली घोड़े नहीं दौड़ाने पड़े थे। सबसे बड़ी बात यह कि पत्नी की आश्वस्तता ने उसे

हैरानी में डाल दिया था। और इससे पहले कि वह कुछ पूछे या समझे, पत्नी ने कहा- मैं

जाकर मिस्टर बनर्जी से कह आई कि मेरे पति पैसों का इन्तजाम नहीं कर पाए हैं। सो

आपको पैसों हेतु एक-दो महीने और इन्तजार करना पड़ेगा। सो आप सो जाइए, अब

मिस्टर बनर्जी जागेंगे।


सार:- वैसे तो मनुष्य को चिंताएं पालनी ही नहीं चाहिए। परंतु कम-से-कम इतना

तो उसे समझ ही लेना चाहिए कि जिस चीज का कोई उपाय ही न बचा हो, उसकी चिंता

तो कतई नहीं पालनी चाहिए। चिंता अपने को परेशान करने के लिए नहीं, बल्कि समस्या

का समाधान खोजने हेतु पालने तक ही ठीक होती है।

कहानी ]

हाथी और चूहा


जिन्दगी में कभी-कभी दो विपरीतों का मिलन-प्रसंग इतना रोचक हो जाता है कि

लोग सदियों तक चटकारे ले-लेकर उनके किस्से सुनते रहते हैं। अब मिसाल के लिए हाथी

और चूहे को ही ले लें। आकार के मामले में दोनों धरती के दो धुरवों की तरह एक-दूसरे के

विपरीत हैं। गजब की बात यह कि दोनों का आमना-सामना भी नहीं होता। अब नहीं होता

तो नहीं होता, लेकिन किसी ने शपथ थोड़े ही ले रखी है? कभी-न-कभी किसी मोड़ पर

मुलाकात हो भी सकती है। और जिस दिन हो जाती है, लोगों के लिए चर्चा के विषय का

जुगाड़ कर ही जाती है। बस ऐसे ही संयोगवश एक दिन एक हाथी ने किसी छोटे से चूहे को

देख लिया। अब साधारणत: हाथी की नजर चूहे पर पड़ती नहीं है, पर यह भी कोई नियम

तो है नहीं। सो, उस दिन नजर पड़ गई। स्वाभाविक तौरपर इतना छोटा दौड़ता जानवर देख

हाथी चौंक गया, और बड़े आश्चर्यजनक अंदाज में उसने उस चूहे से पूछा- यार तुम तो बड़े

छोटे हो? हाथी ने तो यूं ही उसके छोटेपन पर आश्वर्य प्रकट किया था।


अब बात तो साधारण थी पर चूहे के भीतर छिपा कॉम्प्लेक्स यह सुनते ही उफान

मार गया। और तुरंत बात सम्भालते हुए बोला- यह तो कुछ दिनों से तबीयत खराब है वरना

मैं भी तुम्हारी तरह हट्टाकट्टा ही था।


 


सार:- यदि गौर करें तो हम भी अपने कॉम्प्लेक्सों के कारण सुबह से शाम तक न

जाने कितनों को चूहे के अंदाज में ही जवाब देते रहते हैं। सवाल यह कि हम बड़े-छोटे,

नाटे-खोटे, बुद्धिमान या मूर्ख, धनवान, गरीब या स्ट्रगलर चाहे जो व जैसे हैं, मानने में क्या

अड़चन है? हम जैसे भी हैं, हैं। महत्वपूर्ण तो हमारा वजूद है, इतनी-सी बात हम क्‍यों नहीं

समझते?

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