क्रोध का कहर


 

यह कहानी एक बड़ी कंपनी के मालिक की है। एक दिन उसका अपनी पत्नी से

किसी बात पर झगड़ा हो गया। परंतु उसे ऑफिस जाने की जल्दी थी, सो वह झगड़ा अधूरा

छोड़ चलता बना। अब जगह उसने भले ही छोड़ दी थी, पर क्रोध नहीं छोड़ पाया था।

लेकिन पत्नी सामने थी नहीं, तो निकाले किस पर? सो, मजबूरी में वह क्रोध दबाए हुए ही

ऑफिस पहुंच गया। अब ऑफिस पहुंच तो गया था, पर मन काम में लगने का प्रश्न ही नहीं

था। भीतर का क्रोध उबालें खा रहा था। और उसी क्रोधित अवस्था में वह अपनी केबिन में

यहां से वहां चक्कर लगा रहा था। तभी साप्ताहिक रिपोर्ट देने मैनेजर वहां आ पहुंचा। बस

उसको अपना दबा क्रोध निकालने की जगह मिल गई। उसने रिपोर्ट देने आए मैनेजर की

दो-चार गलतियां जबरन निकालकर उसे बुरी तरह डांट दिया। अब मैनेजर को अपनी गलती

समझ में तो नहीं आई, पर मालिक के सामने वह कह क्‍या सकता था? बस चुपचाप मन में

दबे क्रोध के साथ केबिन से बाहर निकल आया।


अब क्रोधित तो वह था ही, बस अपनी केबिन में पहुंचते ही उसने एकाउंटेंट को

बुलवाया। हिसाब के पन्ने यहां-वहां कर उसने उसे बेवजह डांट दिया। ...एकाउंटेंट का भी

माथा ठनक गया। उसने अपनी बैठक पे जाते ही चपरासी को बुलवाया। ...अब चपरासी

को डांटने के लिए किसी वजह की भी क्‍या आवश्यकता? उसने उस नामुराद चपरासी को

अकारण जोरदार डांट पिला दी। बेचारा चपरासी ऑफिस में तो चुपचाप अपमान का यह

घूंट पी गया परंतु घर पहुंचकर वह अपने पर काबू न रख सका। उसने एकाउंटेंट का क्रोध

अपनी पत्नी पर निकाल दिया। पत्नी का सर चकरा गया। उसने जाकर बाहर शांति से खेल

रहे अपने बच्चों को बेवजह झाड़ दिया। बच्चे भी हतप्रभ रह गए। बस मां के जाते ही

उन्होंने आपस के बच्चों से मारपीट शुरू कर दी। ...यानी कंपनी के मालिक और उसकी

पत्नी के बीच रह गया अधूरा झगड़ा जाकर दूसरे मोहल्ले के बच्चों में हुई आपसी मारपीट

के साथ समाप्त हुआ।


सार:- अब जरा अपने जीवन पर गौर करें, आप क्रोध या तो अपनों पर निकालते हो

या अपने से कमजोरों पर। और चूंकि क्रोध नियम से दब नहीं सकता, इसलिए हरकोई

शक्तिशालियों के विरुद्ध दबाया हुआ अपना क्रोध कमजोरों व अपनेवालों पर निकालता

रहता है। अत: सायकोलॉजिकल समझदारी तो इसी में है कि अगर कोई आप पर अकारण

क्रोध निकाल रहा है तो उसका बुरा मानने या उसे पागल समझने की बजाए इसे उसके

अपनेपन का सबूत समझिए। ...बेचारा संकट में अपनों को नहीं तो क्या बाहरवालों को कष्ट

देगा?

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